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बुलंदियां कभी नहीं कहती आ मुझे छू ले ये तो इंसानी

बुलंदियां कभी नहीं कहती 
आ मुझे छू ले
ये तो इंसानी फितरत है
 जो उसे अधिक की चाह के लिए
उकसाती
पर सच्चाई यही है 
जो अपनी सीमाओं से अनजान
उनसे दुनिया और दुनिया से वो परेशान
इसलिये
संयम से जिये और सुख से जिये
बुलंदियों के नाम पर सब कुछ न खोये
✍ कमल भंसाली

 
✍💜कमल भंसाली बुलंदियां
बुलंदियां कभी नहीं कहती 
आ मुझे छू ले
ये तो इंसानी फितरत है
 जो उसे अधिक की चाह के लिए
उकसाती
पर सच्चाई यही है 
जो अपनी सीमाओं से अनजान
उनसे दुनिया और दुनिया से वो परेशान
इसलिये
संयम से जिये और सुख से जिये
बुलंदियों के नाम पर सब कुछ न खोये
✍ कमल भंसाली

 
✍💜कमल भंसाली बुलंदियां