Status वाली दोस्ती... सारिका सुंदर रईस खानदान की लडकी थी। बचपन में तेज़ बुखार आने के कारण उसके दिमाग पर असर पड़ गया और जिसकी वजह से उसका बोलना और सुनना बंद हो गया। अब वह मूक-बधिर है। उसका इलाज कराने की कोशिश की गयी पर अब तक असफल रहा। वह पहले बडे़ इंग्लिश मीडीयम स्कूल में पढती थी। पर इन सबके कारण पढाई पर असर पडने लगा। उसके मार्कस् कम आने लगे। उसे कुछ समझ नही आता था। सारिका के परिवार वाले उसकी मदद करते पर फिर भी वह अपने आपको उस माहौल में एडजस्ट नही कर पा रही थी। सारिका के लिए मूक बधिर स्कूल देखा गया पर वह काफी दूर था और उसके पापा इस बात को हजम नही कर पा रहे थे की उनकी बेटी कोई ऐसे स्कूल में पढे़। एक तो सारिका की ऐसी हालत देखकर ही उन्हें लाचारी महसूस होती थी। समाज में उनका रुतबा कम होता महसूस होने लगा। अब बेटी को ठीक पढाया नही तो लोग क्या कहेंगे ये बात भी सता रही थी। मारवाडी़ समाज द्वारा संचालित(sponsored )बालिका विद्यालय में पढाने की किसी ने बात कही। ये विद्यालय वही था जहाँ सारिका के परिवार वाले भी अपनी Reputation maintain करने के लिए donation देते थे। उनके निकट संबंधियों की सलाह पर सारिका के पापा ने उसका Admission उस स्कूल में करवा दिया। कम फीस वाले गरीब बच्चों के स्कूल में अपनी बेटी को पढा़ना उन्हे पसंद नही आ रहा था। पर सभी के राजी़ होने पर वह कुछ कर नही पाए। रोज़ सुबह वह सारिका को अपने स्कूटर पर छोड़ जाते थे। उसकी दो बहने थी जो बडे़ इंग्लिश मीडीयम स्कूल में पढती थी जो सारिका के स्कूल से काफी नज़दीक था और वो आॉटो में आया जाया करती थी । सारिका के एडमीशन होते ही स्कूल में चर्चा शुरु हो गयी। हर कोई टीचर से लेकर बच्चों और आया तक उसके बारे में ही बातें करने लगे। "गूँगी और बहरी लडकी आई है हमारे स्कूल में पढने"। उसका स्कूल की मैनेजमेंट कमिटी वालों से रिश्ता है। सारिका का जिस क्लास में एडमीशन हुआ उस क्लास की लडकियों ने उसका खुले दिल से स्वागत किया। सभी उसकी सुंदरता पर मोहक थी। उसे हर टीचर हर स्टाफ का स्पेशल अटेंशन मिल रहा था। इस बात से कुछ लडकियाँ चिढ़ गयी थी। उन्होंने सारिका से बात करना बंद कर दिया और उससे कट कर रहने लगी। सारिका ड्राईंग और क्राॉफ्ट मे काफी हुशार थी। उसके पास अमीर होने के कारण बडे़ महँगे कलर्स सेट रहते थे उन सभी का उपयोग कर वह अच्छी चित्रकारी करती थी। सभी उससे खुश थे सिवाय कुछ लड़कियों के। स्कूल के इस वातावरण से सारिका खुश थी। सभी विषयों मे उसे स्पेशल टीचिंग मिलती थी। लडकियाँ अपनी नोट्स भी उससे शेअर करती। सारिका इस स्कूल में घुल मिल गयी। पर जो लडकियाँ उसे पसंद नही करती थी वह धीरे-धीरे उसे सताने लगी। कभी उसकी बुक्स छिपा देती तो कभी लंच बाॅक्स गायब कर देती। सारिका अक्लमंद थी। उसे समझ आ गया था किसी को उसका इस स्कूल में आना अच्छा नही लगा। अब वह हर किसी से पर्सनली बाते करने लगी। स्कूल की लडकियाँ सारिका के साथ रह रहकर मूक भाषा भी सीखने लगी। उससे सभी उसी निर्देशों वाली (हाथ हिलाकर) भाषा में बोलने लगे। सारिका कुछ समय में अपने विरुद्ध रहने वाली लडकियों की भी अच्छी सहेली बन गयी। एक दिन स्कूल की छुट्टी थी। होली का त्यौहार था। सभी सहेलियाँँ आपस में मिलजुलकर खेलती थी। एक दूसरे के घर जाती और रंग लगाती थी। किसी के पेरेंट्स कभी कुछ खिलाते थे तो कभी होली के खेल में उनके साथ शामिल हो जाते थे। इस बार लडकियों ने सोंचा सारिका के यहाँ जाया जाए। पहले भी दो तीन बार उनमें से कुछ लडकियाँ उसके यहाँ हो आई थी। सभी लडकियाँ उस स्कूल में गरीब नही थी। मारवाडी लोगों की सोंच पहले ऐसी होती थी कि लडकियों को घरबार ही सँभालना है तो पढाने लिखाने से क्या मतलब । ऐसी सोंच अन्य भाषीय समुदाय की भी थी पर फिलहाल बात "सारिका" के स्कूल की थी जहाँ अधिकाँश संख्या मारवाडी लडकियों की थी। वह होते बहुत पैसेवाले थे पर अपनी लडकियों पर खर्च करना पैसों की बर्बादी समझते थे। अच्छे कपडे़,गहने,चप्पल सब पहनाते थे पर पुस्तकों पर खर्चा करने से डरते थे। सारिका की माँ सभी का दिल से स्वागत करती थी। सभी लडकियों को नाश्ता,चाय कराकर ही भेजती थी। सभी ने तय किया कि अपने-अपने घर पर बता देंगे और सारिका के घर निकलेंगे। सभी खुश थी। उनमें से कुछ पहली बार सारिका के घर जा रही थी वो अपनी चहेती सहेली के यहाँ जाने के लिए ज्यादा ही खुश थी। सभी लोग उसकी बिल्डिंग के नीचे पहुँचे और फ्लैट नं याद करने की कोशिश करने लगे। गेट पर खडे वाॅचमैन से पूछना चाहा पर झिझक रहे थे। सभी लडकियाँ अपने पुराने कपडो़ में थी और उनके बाल बिखरे,पूरा शरीर रंगों में डूबा हुआ था। पहले के समय होली के दिनों मे रंग लगाने के समय पुराने कपडे ही पहने जाते थे। आजकल ही मूवीस,सीरियल के प्रभाव से सफेद रंग के कपडे लोग पहनते है। वाॅचमैन उन्हें देख रहा था। वह खुद आकर पूछने लगा कहाँ जाना है? सभी ने कहा मि.समदरिया के यहाँ । वह सोंचने लगा उनके यहाँ अगर जाने दिया तो उसी को डाँट पडेगी। पर सभी लडकियों ने कहा हमें बुलाया है उनकी बेटी ने होली खेलने। फ्लैट नं पूछकर सभी ऊपर की ओर गयी। लिफ्ट में कुछ लडकियाँ पहली बार चढ़ रही थी। उन्हें Exhibition में लगे किसी झूले की याद आ गयी। ऊपर पहुँचने के बाद सभी को लग रहा था अब सारिका को सरप्राइस देंगे। जैसे ही बेल बजाई,सारिका की छोटी बहन आ गयी। उसने सभी को ऐसे हाल में देखा तो डर गयी और अंदर आने के लिए भी नही कहा। सभी बाहर ही खडी थी। उसकी बहने काफी सुंदर और काफी घमंडी थी। इंग्लिश मीडीयम की लडकियों की तरह हमेशा ऐंठी हुई।सारिका की सहेलियों से बात करने हमेशा झिझकती थी वो तो उनकी माँ उन्हें डाँटती थी इसीलिए थोडा हैलो-हाय करती थी। सारिका अंदर से दौड़कर आई और काफी खुश हो गयी सभी को देखकर। सारिका की माँ ने हाॅल में एक बडी चटाई बिछाई और सभी को खाने पीने के लिए कुछ दिया। घर गंदा हो जाएगा नीचे जाकर खेलने की सबको हिदायत मिली। जैसे ही लडकियों ने खाना शुरु किया,सारिका के पापा वहाँ आ गये। स्कूल की लडकियों को ऐसे रूप में देखकर गुस्से मे आ गये और चिल्लाने लगे। तुम लोग यहाँ क्यों आए हो? तुम्हे अंदर किसने आने दिया? चलो अभी निकलो यहाँ से। यह सब सुनते ही सभी डर गयी। और खाने का सामान हाथ में उठाया हुआ नीचे रख दिया। उठकर खडी हो गयी और एकदूसरे का मूँह देखने लगी। सारिका की मम्मी वहाँ आई और अपने पति को समझाने लगी कि ऐसे मत बोलिए,लडकियाँ डर जाएँगी। पर वह आगबबुला हो गये थे। वह बस चिल्ला रहे थे। सारिका अपनी मूकभाषा में उनपर चिल्ला रही थी। लडकियाँ एक एक कर बाहर निकलने लगी और चप्पल पहनने लगी। किसी ने लिफ्ट का बटन दबाया सभी लिफ्ट के दरवाजे की ओर मुडी़। एक एक लडकी लिफ्ट में जाने लगी,तभी सारिका के पापा बाहर आए और जोर से चिल्लाने लगे कहकर लिफ्ट से बाहर निकलो और सीढीयों से जाओ। लिफ्टमैन भी उनकी आवाज़ सुन डर गया। सभी बाहर आ गयी और सीढीयों की ओर बढने लगी। उसके पापा ने कहा,ये लिफ्ट तुम लोगों के लिए नही है,बिल्डींग में रहने वालों के लिए है। सब हम पर गुस्सा हो जाएँगे तुम्हे लिफ्ट में देखकर। लडकियाँ जैसे तैसे सीढीयों के रास्ते नीचे आ गयी। उनमें से कुछ रोने लगी। इतनी बडी बेइज्जती,इतना गुस्सा देख सभी को बुरा लगा। सब अपने अपने घर चली गयी। घर