दुनिया के सारे लोग, बड़े हो गए, सयाने से, कुछ एकदम अलग, उनके पैरों की आहट भी, सूनेपन से घिरी रहती है। ना ही उनका बोलना, किसी को खुश कर जाता है। वो उनका कुछ बोलकर, अचानक ही चुप हो जाना, या सलीके को, अपने साथ लिए घुमना, झुंझलाहट से सजा दिखता है अब, वो कभी बेवजह वाली, मुस्कान से सना चेहरा। असल में, बड़े हो जाना, हर दफ़ा, बड़ा हो जाना, नहीं होता। अक्सर बचपन का, दम घोंट दिया जाता है, बड़े हो जाने के लिए । - सुपरस जैन "सजल" सयाना हो जाना!