शिकस्त कुछ यूं मिली है मुझे, की अब खुद में सुलझे सुलझे से लगते है। समेट भी ले खुद को तो क्या, यहाँ ओर भी बिखरे है दिलो के टुकड़े, वो भी मुझे अपने अपने से लगते है।। शिकस्त कुछ यूं मिली है मुझे, की अब खुद में सुलझे सुलझे से लगते है। समेट भी ले खुद को तो क्या, यहाँ ओर भी बिखरे है दिलो के टुकड़े, वो भी मुझे अपने अपने से लगते है।। #shikast #dil #tukde