मन की इच्छा अनगिनत इच्छाएं होती हैं मन की, कुछ उड़ने की होती हैं, खुले गगन में, कुछ चलने की होती है,नरम रेत में, कुछ चढ़ने की होती हैं ऊंची चोटी पे, कुछ दौड़ने की होती हैं, लंबी रेस में कुछ भीगने की होती हैं ,पहली बारिश में कुछ जीने की होती हैं खुद की ख़्वाहिश में, कुछ रहने की होती है अपने घर में, कुछ भीड़ से निकल आगे बढ़ने की, कुछ नन्ही सी जान को,हांथो में लेने की, कुछ होती हैं किसी का हो जाने की, तो कुछ किसी को अपना बनाने की, जब मन की इच्छाएं मन में बस के रह जाती है, तब एक कब्र सी मन मे बन जाती है। Rajmani Singh #rajmanisingh #SilentWaves