टूटे थे शाखों से कभी बिखरे तो हम सूख गए फिर खाद बने तो जड़ों ने खींचा फिर से शाखों में आ ये पैगाम लाए हैं कि हारना मत फिर से लौटेंगे दिन तुम्हारे लौटेंगे चाहने वाले जैसे वसंत में शाखों पर फिर से वापस हम आए हैं। ©Shukla Dhananjay #vasant