मैंने तुमको मंजिल मानी थी और अपना पंख जलाया था तुम सपनो के सौदागर थे क्या खूब मुनाफा पाया था तुम समझे की टूट जाऊंगा तेरे रंग बदलने से ये चट्टानों का सीना हैं बिखरेगा नहीं चटकने से मैं ऊंचाई का पंछी हूँ मुझे दूर देश को जाना है बादलो को पटखनी दूँ घोंसलों में कहा ठिकाना है जो तुम समझे की विरह अग्नि में मैं जल कर मर जाऊंगा उसी अग्नि की बैसाखी से तुझको उड़ान दिखाऊंगा मैं चमकूंगा सितारों संग तुम नीचे ही रह जाओगे फिर हाथ मलोगे जीवन भर जब भी हिसाब लगाओगे तुम सपनो के सैदागर हो तुम ख्वाब टूटते देखोगे फिर हिसाब की कॉपी को हर बार उठा कर देखोगे #kaccha_shayar