"पागल था वो तब भी है और आज भी" कभी डरता था मुझसे बात करने में, और आज अपनी बातों से मुझे खामोश कर जाता है.. कभी चोर निगाहों से छुप कर देखा करता था, और आज आँखे मिला कर देखने की ख्वाहिश रखता है.. कभी लोगों से अपना प्यार खुद बयाँ करता था, और आज अपने ही प्यार को लोगो से बचाते फिरता है.. कभी प्यार जताने के लिये औरों को मारने में शान समझता था, और आज सुकून से मरने की चाहत रखता है.. कैसे समझाऊँ उस दीवाने को, मेरा मन तो इस पल को खुल कर जीने की तमन्ना रखता है.. फिर से कहती हूं, सच में पागल था वो तब भी, है और आज भी.. "पागल था वो तब भी है और आज भी" कभी डरता था मुझसे बात करने में, और आज अपनी बातों से मुझे खामोश कर जाता है.. कभी चोर निगाहों से छुप कर देखा करता था, और आज आँखे मिला कर देखने की ख्वाहिश रखता है..