शिक्षक की गोद में उत्थान पलता है। जहां सारा शिक्षक के पीछे चलता है। शिक्षक का बोया पेड़ बनता है। हजारों बीज वही पेड़ जनता है। काल की गति को शिक्षक मोड़ सकता है। शिक्षक धरा से अम्बर को जोड़ सकता है। शिक्षक की महिमा महान होती है। शिक्षक के बिन अधूरी वसुंधरा रहती है। याद रखो चाणक्य ने इतिहास बना डाला था। क्रूर मगध राजा को मिट्टी में मिला डाला था। बालक चन्द्रगुप्त को चक्रवर्ती सम्राट बनाया था। एक शिक्षक ने अपना लोहा मनवाया था। संदीपनी से गुरु सदियों से होते आए है। कृष्ण जैसे नन्हे नन्हे बीज बोते आए है। शिक्षक से ही अर्जुन और एकलव्य जैसे नाम है। शिक्षक की निन्दा करने से दुर्योधन बदनाम है। शिक्षक की दया दृष्टि से बालक राम बन जाते है। शिक्षक की अनदेखी से के रावण भी कहलाते है। हम सब ने भी शिक्षक बनने का सुअवसर पाया है। बहुत बड़ी जिम्मेदारी को हमने गले लगाया है। आओ हम संकल्प करे की अपना फर्ज निभाएंगे। अपने प्यारे भारत को हम जगत गुरु बनाएंगे। अपने शिक्षक होने का हरपल अभिमान करेंगे। इस समाज में हम भी अपना शिक्षा दान करेंगे। #HappyTeachersDay2020 #CityEvening