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अच्छाई की राह पर चलना, बुराई का सिर कुचलना| खुद से

अच्छाई की राह पर चलना,
बुराई का सिर कुचलना|
खुद से भी आगे वो हमे बढ़ाते हैं
माता पिता के अतिरिक्त, 
गुरुवर ही ऐसा चाहते हैं।
ऐसे गुरुवर के सामने 
हम सदा शीश नवाते हैं।
स्वरचित-निधि विश्वकर्मा

©NiRaV
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#गुरुवर