घर से दूर गए घर को घर बनाने के लिए। सब छुट गए ,जब गए पैसे कमाने के लिए।। मुनासिब नहीं मिलन मिलाप किसी से। बहुत हो गए दिन,याद नहीं आता कोई भुलाने के लिए।। काफ़िला नहीं था मगर अपने तो थे साथ में। यहां कोई नहीं विरह-वेदना में बुलाने के लिए।। बे सबब है बहुत कुछ,पर कौन वक्त का साथी है। पराए है ,पर कोई नहीं कुछ सुनाने के लिए।। भला महसूस करें ,कोई अहसास मेरे। मुमकिन है,पर रहा नहीं कुछ छिपाने के लिए।। ©।।फक्कड़।। #fakkad #achievement