'इश्क की एक रूहानी कहानी, नाजुक सी थी एक राजकुमारी, निकली थी सहर पर फूल सी कोमल लिपटी थी मलमल लिबास में,, खूबसूरती टपक रही थी चांदनी बन कर, सबसे बेखबर चल रही थी 'मटक मटक कर, 'एक कामगार नौजांवा, 'अपने काम के धुन में निकल पड़ा, 'उस रास्ते से राजकुमारी आ रही थी सामने से,, 'अटक पड़ा राजकुमारी का पल्लू उसके कड़े से,, नजरे मिली राजकुमारी से,, अब तो यही सिलसिला दोनों का रोजाना आना जाना,, "आंखों का मिलना,, "राजकुमारी को भी पूरी स्टोरी कैप्शन में है, ''इश्क की एक रूहानी कहानी, नाजुक सी थी एक राजकुमारी, निकली थी सहर पर फूल सी कोमल लिपटी थी