#OpenPoetry बेटियाँ बेटियाँ परियां होती है औऱ परियों के घर कहा होते है ?? सब के दर्द बाँटती है परियां भला इनके कब हमदर्द होते है? हर किसी की खुशी की फ़िक्र करती है ये भला परियों की ख़ुशी की फिक्र किसे होती है ?? गुजारिश है मुझे परी से इन्सान बना दीजिए बेटी बेगानी. बेटी परायी की .जगह अपनी का नाम दीजिए बेगानी की जगह अपनी का नाम दीजिए .. #OpenPoetry This poem is a request to al to chnge the mentality about girls...