लदी डाल थी वृक्ष हरे थे, हम तो कोसों दूर खड़े थे, मगर लिए पहचान दूर से, वृक्षों में फल फूल सजे थे। रहा सुलगता हर दिन हर क्षण, मानव के मन का अंगारा, लिए गाड़ नदियो की कल कल, रहा भटकता है बंजारा, नज़र पड़ी फिर चलते चलते, शाखों में तो पुष्प भरे थे। लदी डाल #yqdidi #yqbaba #yqhindi #yqhindipoetry