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परो को खोलो, उड़ो अभी आसमान बाकी हैं। बढ़ चलों मं

परो को खोलो, उड़ो
अभी आसमान बाकी हैं। 
बढ़ चलों मंजिल की तरफ, 
अभी संसार बाकी हैं। 
उगते सूरज को देख, 
कितना चिराग बाकी हैं। 
निशा कितनी भी गहरी क्यो न हो, 
अभी अंधकार बाकी हैं। 
आइना टूटकर भी सच दिखाता हैं, 
उसका अभी भी ईमान बाकी हैं।। 
आगे अभी शेष है......

©Pramod Singh Pal
  💥अभी बाकी हैं 🌖

💥अभी बाकी हैं 🌖 #जानकारी

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