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रास्ते में फिर वही पैरों का चक्कर आ गया जनवरी गुज

 रास्ते में फिर वही पैरों का चक्कर आ गया 
जनवरी गुजरा नही था,
और दिसंबर आ गया ।

ये शरारत है,सियासत है?के है साजिश कोई 
शाख पर फल आएं,
इससे पहले पत्थर आ गया ।
 रास्ते में फिर वही पैरों का चक्कर आ गया 
जनवरी गुजरा नही था,
और दिसंबर आ गया ।

ये शरारत है,सियासत है?के है साजिश कोई 
शाख पर फल आएं,
इससे पहले पत्थर आ गया ।