मेरी देहरी की मोहब्बत मेरे कच्चे मोहब्बत से कमज़ोर निकली मेरे रग-रग में मेरी देहरी से मोहब्बत की दास्ताँ और अरमान ऐसी थी कि' मेरी अर्थी भी निकले उसी देहरी से लेकिन मेरे कच्चे मोहब्बत ने ऐसा जड़ा कि मैं अपने चौराहे तक ना जा सका आज वो मक़ान बिक गया "वो देहरी किसी और कि हो गई " और मेरी कच्ची मोहब्बत की कोई ख़बर नहीं है; -साकेत कुमार देहरी (दहलीज)