परम पूज्य श्री राम को मेरा सत् सत् नमन ।। अरे धन्य भई अयोध्या नगरी विलुप्त राम जो पाई ।। व्यर्थ भए सब हथियार, कागज कलम काम आई , अरे वर्षो बाद हिन्दुस्तान की सभ्यता ,वापीस आई । की धन्य भई अयोध्या नगरी विलुप्त राम जो पाई ।। अरे घन घोर कलयुग को चीर, रग्हुराई वापीस आई , कलयुग के अयोध्या में रंग लाई। क्या राजतंत्र क्या प्रजातंत्र , अरे... क्या राजतंत्र क्या प्रजातंत्र , सबने हैं भागीदारी निभाई कलयुग के श्री राम को अयोध्या दिलवाई । अरे धन्य भई अयोध्या नगरी विलुप्त राम जो पाई ।। ayodhya nagri