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चलो अच्छा है कोई रोकने वाला नहीं है, सफ़र तन्हा ह

चलो अच्छा है कोई रोकने वाला नहीं है, 
सफ़र तन्हा है कोई टोकने वाला नहीं है, 

जुवाँ खामोश भी रखूँ तो कागज़ बोलता है, 
डरें क्योंकर यहाँ कोई भौंकने वाला नहीं है, 

उन्हें गुमान उनकी हर रज़ा मक़बूल होगी, 
फ़लक पे कोई कीचड़ फेंकने वाला नहीं है, 

मैं तन्हा हूँ मुकम्मिल साथ मेरी शायरी है, 
बुझा चूल्हा है रोटी सेंकने वाला नहीं है, 

निकलते हैं सँवरने पर बड़ी मसरूफ़ियत से, 
है दर्द-ए-दिल बहुत पर देखने वाला नहीं है, 

जो मन में आ गया बेखौफ़ बोलता हूँ अब, 
शुक्र है अब मेरे मुँह पर कोई ताला नहीं है, 

वही लिखता हूँ जो महसूस करता हूँ 'गुंजन',
हमारे दिल में नफ़रत का कोई जाला नहीं है, 
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
              चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #कोई जाला नहीं है#
चलो अच्छा है कोई रोकने वाला नहीं है, 
सफ़र तन्हा है कोई टोकने वाला नहीं है, 

जुवाँ खामोश भी रखूँ तो कागज़ बोलता है, 
डरें क्योंकर यहाँ कोई भौंकने वाला नहीं है, 

उन्हें गुमान उनकी हर रज़ा मक़बूल होगी, 
फ़लक पे कोई कीचड़ फेंकने वाला नहीं है, 

मैं तन्हा हूँ मुकम्मिल साथ मेरी शायरी है, 
बुझा चूल्हा है रोटी सेंकने वाला नहीं है, 

निकलते हैं सँवरने पर बड़ी मसरूफ़ियत से, 
है दर्द-ए-दिल बहुत पर देखने वाला नहीं है, 

जो मन में आ गया बेखौफ़ बोलता हूँ अब, 
शुक्र है अब मेरे मुँह पर कोई ताला नहीं है, 

वही लिखता हूँ जो महसूस करता हूँ 'गुंजन',
हमारे दिल में नफ़रत का कोई जाला नहीं है, 
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
              चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #कोई जाला नहीं है#