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मेरे लिबास में ये शख्स बैठा कौन हैं ऊपर से अगर हस

मेरे लिबास में ये शख्स बैठा कौन हैं
ऊपर से अगर हस रहा हूं मैं
तो अन्दर ये रोता कौन हैं।
छुपाता फिरता हैं जमाने भर से  गम अपना
जिसके मुंह पे लगा है मुखौटा झूठा 
वो हसमुख कौन हैं।
सुन रहे है सब किस्से महफिलों में
अपनी कहानी पे अंधेरे में मातम मनाता कौन हैं।
मैं तो बड़ा खुशमिजाज इंसान था 
औरों के गम को खुशियो में बदलना मेरा काम था
वो जो तड़प रहा हैं तन्हा दर्द में वो पागल कौन हैं।
देखा था मैने आज लोगो को दफन करते मुझे
फिर आइने में खड़ा बेजान सा पुतला कौन हैं।

©Zainab siddiqui #sadquotrs

#Life
मेरे लिबास में ये शख्स बैठा कौन हैं
ऊपर से अगर हस रहा हूं मैं
तो अन्दर ये रोता कौन हैं।
छुपाता फिरता हैं जमाने भर से  गम अपना
जिसके मुंह पे लगा है मुखौटा झूठा 
वो हसमुख कौन हैं।
सुन रहे है सब किस्से महफिलों में
अपनी कहानी पे अंधेरे में मातम मनाता कौन हैं।
मैं तो बड़ा खुशमिजाज इंसान था 
औरों के गम को खुशियो में बदलना मेरा काम था
वो जो तड़प रहा हैं तन्हा दर्द में वो पागल कौन हैं।
देखा था मैने आज लोगो को दफन करते मुझे
फिर आइने में खड़ा बेजान सा पुतला कौन हैं।

©Zainab siddiqui #sadquotrs

#Life