सीलन थोड़ी बड़ी है अर्श,फर्श,मन–बिस्तर की गंध फिर फैल गई विजय–माल या हार की ज्वर ताप से तपित शरीर लक्ष्य लौ से दीपित कुटिर प्रगति पथ पर एक और नाका हां नाका मात्र था बस.. जो जीत से सफर धीमी होती सो रंजन,रंजन हो लिया पुनः पारंपरिक तौर से फिर हारा और सब जीत लिया.. और सब जीत लिया... सीलन थोड़ी बड़ी है अर्श,फर्श,मन–बिस्तर की गंध फिर फैल गई विजय–माल या हार की ज्वर ताप से तपित शरीर लक्ष्य लौ से दीपित कुटिर प्रगति पथ पर एक और नाका हां नाका मात्र था बस