"रात का चिराग बुझ गया तो क्या हुआ? शमा का बरकरार बाकी है। यह कमबख्त इश्क भी क्या चीज है इसका ऐतबार बाकी है। इकबाल तो मेरा तुम बनकर देख लेना अभी तुम्हारा इंतजार बाकी है।" "नरेंद्र भाकुनी" #dawn #dawn