उलझन जीवन है ये उलझन कैसे इसे सुलझाएँ कौन सी राह को छोड़ें , किस राह को जाएँ पास होकर भी कोई दूर है, दूर रहकर भी कोई पास रिश्तों के इन उलझे धागों में कहीं हम ही ना उलझ जाएँ माता, पिता, भाई, बहन का प्रेम खींचता हमें अपनी ओर इनको ना खोना चाहें पर रोजी रोटी की उलझन में उलझते चले जाएँ पढ़ते हैं कुछ और, नौकरी मिलती है बिलकुल विपरीत इस तनाव को हम फिर भी झेलते चले जाएँ प्रेम जिससे किया, समाज और रिश्तों के डर से चुप रहे दिल की बात दिल में रही, नहीं बोल पाए लगता है कई बार, खुद को इतना उलझा दिया है हमने दूसरों को समझने के चक्कर में कहीं हम ही नासमझ कहलाएँ #rztask68 #rzलेखकसमूह #restzone #rzwriteshindi #collabwithrestzone #yqrestzone #yqdidi Pic credit google