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ये किसने बाग से उस शख्स को बुला लिया है परिंद उड़

ये किसने बाग से उस शख्स को बुला लिया है
परिंद उड़ गए पेड़ों ने मुंह बना लिया है,
जो कभी बैठा था छांव में इनकी 
आज उसीने इनसे दगा किया है,
कोई पूछे जाके उनसे हालात की बेबसी
किसी के दिए हुए ज़ख़्म भर गए
किसी ने लगाया हुआ पेड़ भी सुखा दिया है,
ज़रा सोचो क्या गुजरती होगी उनपर
ऐसा लगता है किसी ने जीवित शख्स को जला दिया है,
वो फ़िर भी कहते हैं सारा जहां उनका है
मैं कहता हूं तुमने सब कुछ गवां दिया है। ~DSK poetry~ Think about our Environment,
& Happy Environment Day
#DSK Shayari
ये किसने बाग से उस शख्स को बुला लिया है
परिंद उड़ गए पेड़ों ने मुंह बना लिया है,
जो कभी बैठा था छांव में इनकी 
आज उसीने इनसे दगा किया है,
कोई पूछे जाके उनसे हालात की बेबसी
किसी के दिए हुए ज़ख़्म भर गए
किसी ने लगाया हुआ पेड़ भी सुखा दिया है,
ज़रा सोचो क्या गुजरती होगी उनपर
ऐसा लगता है किसी ने जीवित शख्स को जला दिया है,
वो फ़िर भी कहते हैं सारा जहां उनका है
मैं कहता हूं तुमने सब कुछ गवां दिया है। ~DSK poetry~ Think about our Environment,
& Happy Environment Day
#DSK Shayari
dsk3200029929073

D.S. K.

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