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(... विदाई ...) पल भर के लिए भी जिस को खुद से दूर

(... विदाई ...) 
पल भर के लिए भी जिस को खुद से दूर ना करते थे..
आज उसको उम्र भर के लिए जैसे पराया कर रहे थे..
अपने जिगर के टुकड़े को खुद से ही ज़ुदा कर रहे थे..
दिल पर बोझ, आँखों में नमी थी..
माँ-बाप के लिए ये सबसे दर्द भरी घड़ी थी..
एक कोने में खड़ा भाई भी रो रहा था..
मन में असीम प्यार और आँखों में सैलाब उमड़ रहा था..
सारी यादो को वो उस पल में जी रहा था..
अंदर ही अंदर उसका मन जैसे बिलख रहा था..
माँ की परछाई, पिता का मान उनसे दूर हो रहीं थीं..
देखो भाई आज तुम्हारी बहन विदा हो रहीं थीं.
 --प्रिया शर्मा

©priya sharma #विदाई
(... विदाई ...) 
पल भर के लिए भी जिस को खुद से दूर ना करते थे..
आज उसको उम्र भर के लिए जैसे पराया कर रहे थे..
अपने जिगर के टुकड़े को खुद से ही ज़ुदा कर रहे थे..
दिल पर बोझ, आँखों में नमी थी..
माँ-बाप के लिए ये सबसे दर्द भरी घड़ी थी..
एक कोने में खड़ा भाई भी रो रहा था..
मन में असीम प्यार और आँखों में सैलाब उमड़ रहा था..
सारी यादो को वो उस पल में जी रहा था..
अंदर ही अंदर उसका मन जैसे बिलख रहा था..
माँ की परछाई, पिता का मान उनसे दूर हो रहीं थीं..
देखो भाई आज तुम्हारी बहन विदा हो रहीं थीं.
 --प्रिया शर्मा

©priya sharma #विदाई
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priya sharma

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