क्यू रुखसत हो गए बेवक्त अभी तो बहुत कुछ बाकी था हा मां नहीं थी पर परिवार तो साथी था सर पे पिता का साया और बहनों का प्यार भी काफ़ी था हां एक सपना टूट गया पर सारा संसार तो बाकी था क्यू रुखसत हुए बेवक्त अभी तो बहुत कुछ बाकी था #shushant singh Rajput#poetry