आज ये जवानी , वो बचपन याद करती है ये ज़िन्दगी, वो आराम याद करती है आज की धूप वो नीम की छाँव याद करती है आज ये जवानी बचपन याद करती है।। रातों की नींद , वो माँ की लोरी याद करती है मखमल का बिस्तर वो पापा की गोद याद करती है आज ये जवानी , बचपन याद करती है मई जून का महीना वो गर्मी की छुट्टी याद करती है दो दिन की छुट्टियाँ भी मामा का घर याद करती है आज की दूरी , वो नजदीकी याद करती है ये जवानी आज बचपन याद करती है वो शक्तिमान का गाना, वो घर की घण्टी बजाकर भागना वो छुपन छुपाई खेलना और वो राजा वजीर का बनना Pubg की टीम भी, आज वो खेल याद करती है ये जवानी बचपन याद करती है पहले बोर्ड की चिंता,फिर स्कूल की वो अंतिम बिदाई कमीने दोस्तों की यारी ,वो सुंदर कन्या कुवाँरी आज की थकान , वो मस्ती याद करती है ये जवानी आज बचपन याद करती है।। प्रशांत जवानी बचपन याद करती है।। #प्रशान्त आर्यन #कविता #