ऐ ज़िन्दगी तेरे घर आँगन में तू चाहे तो खुल कर जी लेने दे या छीन ले सारी ख़ुशियाँ मेरे दामन से हमने तो तेरे दिए ज़ख़्मों को सदा हँस कर झेला है न शिकवा ना शिकायत कभी की तुझसे जो मिला तुझसे वो सहर्ष स्वीकार किया जो लिया तूने उसका भी कभी ग़म न किया… बाज़ार सजा है ख़ुशियों का, अंबार लगा है ख़ुशियों का... #अंबार #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi