सिर्फ माशूक ही नही हो तुम, सिर्फ महबूब ही नही हो तुम! हर्फ हो तुम ही मेरी ग़ज़लों के, तुमसे मतला है, तुमसे मक़ता है! ये मेरा चश्मा फ़्रीज पर बैठा, मेरी जां सिर्फ तुमको ताकता हैं! ये मेरी गैरहाज़िरी में सनम, आपका ध्यान-व्यान रखता है!! उदय...🖋️ #नज़्म_का_टुकड़ा