अपने लबो को मेरे लबो से मिला कर खुद को मुझमे मिला दो मेरे लब खामोश है इन्हें अपने लबो से मीठी सी आवाज़ दो मेरे ख़्वाब एक गठरी में बंद है इन खामोश आँखों मे चूम कर खोल दो गठान इस गठरी की मेरी सांसो को परवाज़ दो हर धड़कन भागने लगे धक धक करती जिस्म की वादियों में और खो जाए हम तुम इन वादियों में चांदनी आये धूप में नहा कर मेरे जुल्फों में सोने इस तरह मुझे संवार दो मुझे इतना प्यार दो अपनी पलको में सुला दो खुद को भुला दो अपने लबो को मेरे लबो से मिला कर खुद को मुझमे मिला दो Kunwarsurendra अपने लबो को मेरे लबो से मिला कर खुद को मुझमे मिला दो, मेरे लब खामोश है इन्हें अपने लबो से मीठी सी आवाज़ दो मेरे ख़्वाब एक गठरी में बंद है इन खामोश आँखों मे