#ख़ुद_शनासी क्या मैं, वो हूँ? जो जल रहा है... जिसके सुर्ख़ शोलों में ज़िन्दगी चीख़ रही है, मगर दरम्यान कहीं, अजीब, क़हक़हों का शोर है या, वो ख़द ओ ख़ाल? जलने से क़ब्ल जो हरा-भरा था जिसके सब्ज़ शाख़सारों पर बैठे-बैठे उन्हीं से फिर लटक गया था मैं © gulam #ख़ुद_शनासी © gulam