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कभी ऐसा हो गया में,कभी वैसा हो गया में। जिसने जैसा

कभी ऐसा हो गया में,कभी वैसा हो गया में।
जिसने जैसा समझा हा वैसा हो गया में

कभी हराभरा शहर था कोई सीने में मेरे
आज बंजर जमीं एक रेगिस्तान हो गया में

खत्म किया अपने अंदर के मासूम चेहरे को
खुद के ही क़त्ल का गुन्हेगार हो गया में

कभी किसीने न समझना चाहा मुझको
जिंदगीभर प्यार का प्यासा रह गया में

यु ही ग़म-ए-दिल लिए घूमा करता हूँ राहों पर
सितारों के नगरी में जैसे अकेला चाँद हो गया में

अब ना ख़ुशी से ख़ुशी मिलती है न गम से गम
तूने ए क्या किया रे ज़माने ए कैसा हो गया में?

      — rutuja misale

©9941-rutuja misale ए कैसा हो गया में....?
#rutu #rutuM.#poem 
#Dark
कभी ऐसा हो गया में,कभी वैसा हो गया में।
जिसने जैसा समझा हा वैसा हो गया में

कभी हराभरा शहर था कोई सीने में मेरे
आज बंजर जमीं एक रेगिस्तान हो गया में

खत्म किया अपने अंदर के मासूम चेहरे को
खुद के ही क़त्ल का गुन्हेगार हो गया में

कभी किसीने न समझना चाहा मुझको
जिंदगीभर प्यार का प्यासा रह गया में

यु ही ग़म-ए-दिल लिए घूमा करता हूँ राहों पर
सितारों के नगरी में जैसे अकेला चाँद हो गया में

अब ना ख़ुशी से ख़ुशी मिलती है न गम से गम
तूने ए क्या किया रे ज़माने ए कैसा हो गया में?

      — rutuja misale

©9941-rutuja misale ए कैसा हो गया में....?
#rutu #rutuM.#poem 
#Dark