आज दिल दुखा हैं,क्योकिं किसी का कुछ सपना था जो टूटा हैं | कुछ कह नहीं सकते,क्योकिं बताया गया हैं, ये तो अक्सर लोगो के साथ होता रहता हैं | कुछ लोगो की तो परवरिश ही ऐसी हुई रहती हैं, जिन्हें सिखाया जाता हैं, कि पढ़-लिख कर क्या करना हैं, आगे चलकर तो ,चूल्हा-चौका में ही उम्र बितना हैं | अगर बचपन से ही सिखाया जाता, कि पढ़ो,आगे चलकर तुम्हें कुछ बनना हैं, तो आज हर लड़की आगे आती ,और कहती, कि अभी रूको,मत बाँधो हमें किसी डोर से, क्योकि बाकी हैं,अभी मेरा वो सपना, जो मुझे हर हाल में हैं ,पूरा करना |