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ये वो शहर है, जिसमे नफरतों की बस्तियाँ मासूमियत का

ये वो शहर है, जिसमे नफरतों की बस्तियाँ
मासूमियत का घर तो, राख बनके रह गया !
मशालें झूठ की लिए खड़े वो हर तरफ
और सहमा सच वो उनकी आंखें से था बह गया !!

मैं वो हलात देख बातें कुछ, समझ गया हूँ
हाँ प्यारी बात करके सच कहूँ  तो, थक गया हूँ !
जमाना देख जबसे बिगड़ी, मेरी हरकतें हैं
खुदा कसम लगे हैं, जैसे मैं निखर गया हूँ !!

ये जो भी सुन रहे, वो सिर्फ कुछ कहानियाँ हैं
मुझे ही है पता कि, कितनी मुझे खामियाँ है !
हाँ खोले राज मैंने जिनमे, मैं सही दिखूं
मैं जिनमे गलत था, वो राज फिर छुपा लिया है !!

मुझे सुधारना वो चाहे, देके कसमें रब की
मैं खुद को मौत दे चुका हूँ जाने, जाना कब की !
ये जिंदगी तो, छिन लाया वक्त से चुरा के
मगर मैं कीमते चूका रहा हूँ, गुजरे कल की !!

                                  🔥

©Roy Manu
  #copied
#Rap
#lyrics
#written by AKHIL REDHU

youtube: https://youtu.be/8SPrXevUV-E
#OneSeason
roymanu4056

Roy Manu

New Creator
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#copied #Rap #lyrics #written by AKHIL REDHU youtube: https://youtu.be/8SPrXevUV-E #OneSeason #ज़िन्दगी

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