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धुआँ धुआँ होती ज़िन्दगी को, मिल जाता थोड़ा आराम..!

 धुआँ धुआँ होती ज़िन्दगी को,
मिल जाता थोड़ा आराम..!

तेरे सीने से लगकर चाहे,
होता फिर बदनाम..!

सुख का समुन्दर सूख कर,
हुआ कुआँ कुछ यूँ..!

दुःख का दरख़्त,
होता रहा गहरी शाम..!

क्या करें कहाँ जाएँ,
जहाँ मिले क़ामयाबी का मुकाम..!

बहुत जी लिए ज़िन्दगी,
अँधेरे में रहकर यूँ ग़ुमनाम..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Hum #tereseenelagkar