बालकों सी मृदुल काया देखूँ या अपनत्व का भाव समाया देखूँ। निःस्वार्थ भाव से मुस्काते देखूँ या होले से दर्द छुपाते देखूँ। मैं देखूँ जख़्मों का धीरे से छुप जाना, या सामर्थ्य भाव को होले से जग जाना। देखूँ कातर नैनों से सब कहना, या सीखूँ कड़वाहट में चुप रहना। सुनू तुम्हारा मौन सहमति देना, या किसी उत्तरदायित्व में बहना। समझूँ तुम को अपना अपना, या समझूँ एक सुनहरा सपना। #yqseekh #yqbalak #yqdekhna #yqhindi #yqdidi #yqtum