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देखने से पहले टूट जाए वो ख्वाब हूं मैं खुद से किए

देखने से पहले टूट जाए वो ख्वाब हूं मैं
खुद से किए सवालों का जवाब हूं मैं
यू तो हसते रहना फितरत है मेरी लेकिन
अपने दिल में छुपे दर्द का सैलाब हूं मैं
पढ़ा तो सबने मगर हर कोई समझा नहीं
थोड़ी बन्द,थोड़ी खुली किताब हूं मैं
क्या क्या राज़ छुपाएं है इन अल्फाजो में
और वो कहते है कि लिखता लाजवाब हूं मैं

©Bhuvnesh Chakrawal पूर्णिमा काव्या Poetic Diary #raaz
देखने से पहले टूट जाए वो ख्वाब हूं मैं
खुद से किए सवालों का जवाब हूं मैं
यू तो हसते रहना फितरत है मेरी लेकिन
अपने दिल में छुपे दर्द का सैलाब हूं मैं
पढ़ा तो सबने मगर हर कोई समझा नहीं
थोड़ी बन्द,थोड़ी खुली किताब हूं मैं
क्या क्या राज़ छुपाएं है इन अल्फाजो में
और वो कहते है कि लिखता लाजवाब हूं मैं

©Bhuvnesh Chakrawal पूर्णिमा काव्या Poetic Diary #raaz