#भीड़
भीड़ बहुत है दुनिया में, कहीं! आँखो से ओझल ना हो जाऊं,
पकड़ कर चलना हाथ मेरा, कहीं! भीड़ में जुदा ना हो जाऊं,
भरोसा-यकिन-बनाए रखना, कहीं! अजनबी ना हो जाऊं,
पसंद हूँ मैं अपनों की, कहीं! भीड़ में नापसंद ना हो जाऊं,
होड़ लगी है यहाँ, अपनो से अपनों को जुदा करने की, #Motivation#Bheed#सस्पेंस#शंकरदास