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तेरे मेरे दरमियाँ जो हो रहा है फ़ासला। बढ़ रहीं है

तेरे मेरे दरमियाँ जो हो रहा है फ़ासला।
बढ़ रहीं हैं जो दूरियांँ खुदा का है शायद फ़ैसला।

एक नाज़ुक डोर कभी उलझती कभी सुलझती।
पहले ना कभी खींच तान पर अब रही टूटती।

तेरे मेरे दरमियाँ जो बढ़ रही है ये दूरी।
पता नहीं हम दोनों की कैसी है ये मज़बूरी।

करनी है खुदा से अब इबादत दूर करे दे सारी गलतफहमियाँ।
मिटा दे हमारे बीच की दूरियाँ लाकर प्यार की नजदीकियांँ।

कैसे समझाएँ ख़ुद को या उन्हें जो एक बार ताल्लुकात जुड़ जाते।
दिल के नाज़ुक डोर से बंधे रिश्ते जन्मों तक नहीं टूटते।



 ♥️ Challenge-787 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 

♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
तेरे मेरे दरमियाँ जो हो रहा है फ़ासला।
बढ़ रहीं हैं जो दूरियांँ खुदा का है शायद फ़ैसला।

एक नाज़ुक डोर कभी उलझती कभी सुलझती।
पहले ना कभी खींच तान पर अब रही टूटती।

तेरे मेरे दरमियाँ जो बढ़ रही है ये दूरी।
पता नहीं हम दोनों की कैसी है ये मज़बूरी।

करनी है खुदा से अब इबादत दूर करे दे सारी गलतफहमियाँ।
मिटा दे हमारे बीच की दूरियाँ लाकर प्यार की नजदीकियांँ।

कैसे समझाएँ ख़ुद को या उन्हें जो एक बार ताल्लुकात जुड़ जाते।
दिल के नाज़ुक डोर से बंधे रिश्ते जन्मों तक नहीं टूटते।



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