धड़कने बढ़ी, साँस मध्यम हुई; झलक तुम्हारी ऐसा बवाल कर गयी, ना रहा फ़िर वक़्त सगा मेरा; यादों में तुम्हारी मेरी हर शाम ढल गयी, टकराया हूँ ऐसे पहले भी किसीसे; मैं इस बार भी सम्भल जाता मग़र, एक ज़रा सी चिंगारी थी इश्क़ की; छु लिया तुमनें तो आग बन गयी । ©Akash Kedia #Shayai #pyaar #mohabbat #aashiqui #Dillagi #BoneFire