मन के मीत मेरे चलो उस कुंज में जहाँ झूमे राधेकृष्ण गलबहियाँ किये प्रेम का जहाँ संसार बसा अब तक प्रेमी जैसा चहके पत्ता-पत्ता अब तक मैं और तुम भी अज़र-अमर हो जायें प्रेम का हम भी नया इतिहास रचें अब राधा और श्याम बसें हैं इक-इक प्रेमी में आओ उस कुंज में दर्शन करा दें सबको अब Muनेश...Meरी✍️🌹 👉6 से 8 पंक्तियों में ' उस कुन्ज मे ' पर अपनी रचना करें । (5 फरवरी प्रतियोगिता विषय) 👉@ Collab करने के बाद कमेंट में Done लिखें । 👉11:30 pm तक आपको रचना पोस्ट कर दें । 👉यह एक काव्य प्रतियोगिता है जिसमें कवियों को एक विषय दिया जायेगा जिससे सम्बंधित नियम उस विषय के caption में रहेगा । 👉@ प्रतिदिन एक रचना को विजयी घोषित किया जायेगा तथा नवरचना साहित्य पब्लिकेशन्स की टीम यदि दो रचनाओं में विभेद नहीं कर पाती है तो दोनों रचनाओं को सामान रूप से विजयी घोषित किया जायेगा । 👉रचना का चुनाव बिना किसी