~जिंदगी का हिसाब डायरी~ 'जिंदगी' का हिसाब डायरी कुछ पल सुख के कुछ पल दुख के, पल पल जीना मरना चलता रहता है इसीलिए करते हैं लोग शायरी 'जिंदगी' का हिसाब डायरी| पानी में ही क्यों उठती है लहरे एक के बाद एक के क्यों बदलते हैं चेहरे हर जख्म हर हाल बयां जिस पर कर सके इसलिए बनाते हैं लोग 'शागिर्द डायरी' 'जिंदगी' का हिसाब डायरी| जिंदगी का हिसाब डायरी