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80 आर्य ये आपकी वही अँगूठी है न?बोली शकुंतला पहचान

80
आर्य ये आपकी वही अँगूठी है न?बोली शकुंतला पहचान, 
कैसा छल किया था इसने मेरे साथ उस काल अभिज्ञान, 
हाँ वही अँगूठी है, जब पाया इसे मैने विचित्र विधान, 
वापस आयी थी मेरी स्मृति, तदुपरांत हीं छँटा अज्ञान,
वसंत ऋतु आगमन में लताएँ जैसे करती फूल धारण, 
हे प्यारी! इस मुंदरी को तुम पुनः वैसे ही करलो धारण, 
आर्यपुत्र आप ही पहने,अब इसपे मेरा न रहा  भरोसा 
तत्क्षण मातली प्रवेश किया लेकर महर्षि का संदेशा, 
बधावा दिया मातली ने पुत्र प्राप्ति एवं भार्या पुनर्मिलन का 
तत्पश्चात आशीष लिया राजन ने महर्षि मारीच भगवन का, 
खुशी खुशी सपरिवार राजा दुष्यंत प्रस्थान किये अपनी राजधानी, 
प्रणय,परिणय, विरह, प्रात्याख्यान तथा पुनर्मिलन की पूर्ण हूई कहानी। #Shakuntla_Dushyant
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आर्य ये आपकी वही अँगूठी है न?बोली शकुंतला पहचान, 
कैसा छल किया था इसने मेरे साथ उस काल अभिज्ञान, 
हाँ वही अँगूठी है, जब पाया इसे मैने विचित्र विधान, 
वापस आयी थी मेरी स्मृति, तदुपरांत हीं छँटा अज्ञान,
वसंत ऋतु आगमन में लताएँ जैसे करती फूल धारण, 
हे प्यारी! इस मुंदरी को तुम पुनः वैसे ही करलो धारण, 
आर्यपुत्र आप ही पहने,अब इसपे मेरा न रहा  भरोसा 
तत्क्षण मातली प्रवेश किया लेकर महर्षि का संदेशा, 
बधावा दिया मातली ने पुत्र प्राप्ति एवं भार्या पुनर्मिलन का 
तत्पश्चात आशीष लिया राजन ने महर्षि मारीच भगवन का, 
खुशी खुशी सपरिवार राजा दुष्यंत प्रस्थान किये अपनी राजधानी, 
प्रणय,परिणय, विरह, प्रात्याख्यान तथा पुनर्मिलन की पूर्ण हूई कहानी। #Shakuntla_Dushyant