ना तुम्हे देखा है कभी ,ना इस गहरी दोस्ती की मुझे उम्मिद थी, तुम करीब हुए भी तो मैं तुमसे कुछ खास जुडी ना थी खुदा की रहमत तो देखो यारी अपनी उन्हे भी मंजुर थी कई मिलो के फासलो के बावजुद खास हुआ है ये फसाना... ✍ यु तो भारोसा ना रहा किसी पर,बस सच को रास्ता बना लिया है सच ये भी कि तुमने मुझे समझा और मैने भी तुम्हे जान लिया है तमाम फासलो के बावजूद हमने इस दोस्ती को कबुल किया है जिसपर मैने कल तक गौर नही किया,वही है मेरा आज का खूबसुरत तराना... ✍ लफ्जो मे क्या तारिफ करे तुम्हारी अल्फाज भी कम पडते हैं बस इतना कहते हैं तह दिल से तुम्हे अपना मानते हैं तुमसा ना पाया दोस्त कभी बस तुम्हे खोने से डरते हैं पर जिसने धोखे हजार खाये हो उसे धोखे से भला क्या डरना ... ✍ चाहो तो रूठ जाना सदा के लिये,बस कह देना खामियां मेरी, कभी तोडोगे ये फसाना तो बिन सुकुन के मर जायेगी रूह मेरी संभाल भी ना पयोगे अश्क मेरा,यार खुब रूलाती है दुनिया सारी अपनी सफाई क्या दू तुम्हे ,चाहो तो दोस्ती निभा लेना वरना भुल जाना... ✍ ऐ दोस्त मुझे दुख हैं तो बस तुमसे मिलो की दुरियों का खफा हुं,अगर दुर ही रहना था तो क्यों बढ़ाया हाथ दोस्ती का अब कभी आओगे सामने तो पुरा हिसाब लेंगे तुमसे इन दुरियों का थामा है हाथों को पलके भी नम हो जायेगी,क्या खुब होगा य़ाराना अपना ...✍