Nojoto: Largest Storytelling Platform

// मासूमियत बचपन की // काश! कि लौट आए फिर से वह

// मासूमियत बचपन की // 

काश! कि लौट आए फिर से  वही मासूमियत बचपन की,
शायद कुछ उलझनें कम हो जाएं भाग-दौड़ के जीवन की,
वो बचपन के दिन  कितने अच्छे थे जब हम छोटे बच्चे थे,
ना भविष्य की कोई चिंता और ना फिक्र रहती वर्तमान की,

हुआ करती थी अपनी ही एक खूबसूरत दुनिया ख्वाबों की,
जहां शरारतें, नादानियां और बातें  होती बस चांद तारों की,
पल में बना लेते थे हम दोस्त, ना दौलत देखते और ना धर्म,
बचपन की खट्टी मीठी यादें अब बातें लगती हैं किताबों की,

मिल जाए जो कोई खिलौना बचपन का,भर आती हैं आंखें,
जीवन के हर मोड़ पे, बचपन की,अक्सर याद आती हैं बातें,
घड़ी नहीं पहनते थे हम फिर भी समय होता दोस्तों के लिए,
कितना मासूम था बचपन, कितनी सुहानी थी वो मुलाकातें,

कितने बहाने, कितनी बातें बनाते दोस्तों के संग, खेलने को,
हालचाल पूछने हम  झटपट दौड़ जाया करते थे, मिलने को,
शरारतें कर मां के आंचल में छुपते,डांट खाने पर मुंह बनाते,
कभी खत्म नहीं होती कितनी बातें हैं बचपन की, कहने को।

©Mili Saha
  मासूमियत बचपन की
#nojotohindi 
#Poetry 
#nojotopoetry 
#poem 
#कविता 
#kavita 
#sahamili
milisaha6931

Mili Saha

Silver Star
Growing Creator

मासूमियत बचपन की #nojotohindi Poetry #nojotopoetry #poem #कविता #kavita #sahamili #Trending #ज़िन्दगी

2,586 Views