उलझन इस बात की है कि ,चाँद, तू आसमाँ पर नजर आता है तारो के साथ तू झिलमिलाता है कभी घटता है, कभी बढ़ता है पूर्णमासी को तू ,पूरा नजर आता है अमावस की रात को तो, ढक लेती है, अमावस की रात तुझे तेरा नामोनिशां मिट जाता है कभी अठखेलिया करता है ,तू बदलो संग कभी छुपता है बदलो की ओट में ,तो कभी बाहर निकल आता है हा !मुझे मालूम है तू चाँद है, सबको लुभाता है कभी रात झांकता है ,पेड़ो से खिड़की के अंदर तेरी चाँदनी से ,कमरा जगमगाता है हमे भी ख़बर है ,तू हमे ज्ञान का पाठ पढ़ाता है सिखाता है ,कि सब दिन ,एक समान नही होते इसलिए तू घटता है कभी, कभी बड़ जाता है ©Dr Manju Juneja #चाँद #कभी #घटताहै #बदलो #ओट #छुपता #अठखेलिया #उलझन #इसबात #AdhureVakya