सूना मन का अंबर हुआ,तेरे चले जाने से ज़िदंगी चलती रही,मन रूका रहा,लौट आओ फिर नए बहाने से क्या सबूत दूँ मैं अपने वजूद का,क्या हासिल हुआ मन का दाग छुपाने से दर्द जहन में लौटता हर बार रहा,वो माना भी कब किसी के लाख समझाने से बहुत पुराना एक पेड़ था,जहाँ से शुरू हुआ ये सिलसिला फिर पंछियों ने ठिकाना बदल लिया,ना पेड़ रहा,ना घर मिला प्रेम की उसे तलाश थी,वो चेहरों पर अटक गया सामने था सच खड़ा,वो रास्ता भटक गया बहुत गिनाते रहे ऐब तुम,क्या मिला दूसरों को उनका सच दिखाने से निभा न सकोगे एक दिन,जब गुज़रोगे मेरे सब्र के पैमानों से उस असीम को मैं पुकार रहा,उसको भी मेरी तलाश है नशा था उतर गया,सबकुछ छोड़, चला मैं अब तेरे मयखाने से... © trehan abhishek #सूना #मन #अंबर #तलाश #manawoawaratha #yqdidi #yqaestheticthoughts #yqrestzone