क्या ज़मी क्या आसमाँ ढूँढ लिया जहाँ क्या यहाँ क्या वहां ढूँढता ही फ़िर रहा साथ दे ना रहा दूर वो भी जा रहा सोचता ही चल रहा जाऊँ मैं किसके यहाँ एक दिन राह में अजनबी से मिला बेज़ुबानों के लिए उनके हृदय में प्रेम था नाम जब पूछा तभी वीगन शब्द था सुना पशु क्रूरता देखकर पशु पदार्थ छोड़ना कहते हैं बहुत लोग दुध में हैं शुद्धता एक बात मेरी यारों ध्यान से सोचना खेती कर रहे हों तुम ट्रेक्टरो से बोलना उसके बाद नर बछड़ों के साथ में क्या हो रहा कम दूध दे रहीं तो गायों को छोडऩा छोडकर बेसहारा फिर मंदिरों में पूजना कूड़ा खाकर मर रही हैं आज बीच राह पर जानकर अनजान बनकर तुम कुछ ना बोलना भैंस सुखी क्या रहतीं है उनके विषय में जान लो दूध अधिक छीना करते पर उसके बच्चे को एक बूंद नहीं जो बच्चा दूध नहीं देता मारकर उसको वहीं खाल में भूसा भरकर फ़िर लटकाकर दिया जाता कहीं भैंस जब बुढ़ी हुई या मरगई फिर कभी कोई सम्मान मिलता नहीं बूचड़खाने ही भेजी गई फैसला आपकों करना है हिंसक या अहिंसक बनना हैं पशुओं से प्रेम निभाना है या मारके उनकों खाना हैं फैसला आपको करना है फैसला आपको करना है ©Sankalp jain Vegan #City #VEGANISM #yvcare #GoVegan #gogreen🌴🌿🌲 #SankalpkiUdaan