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निशानियाँ मोहब्बत की बहुत हैं, फिर क्यों ताज़महल क

 निशानियाँ मोहब्बत की बहुत हैं,
फिर क्यों ताज़महल को ही,
मोहब्बत का ताज़ दिया जाये..!
इश्क़ में इश्क़ को इश्क़ की तरह,
क्यों इश्क़ को तोहफों का,
यूँ मोहताज़ किया जाये..!

©SHIVA KANT
  #nishani

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