किसी की ज़िंदगी कभी मायूसी में बसर ना हो, दिया, दिया ना रहे ग़र दिये का कोई घर ना हो! शिकवा, गिला, तोहमत, रूठना, नाराजगी सब, फ़ायदा ना है इनका ग़र मनाने का हुनर ना हो! घर पर दरवाज़ा ना लगाना तुम कभी भूले भी, दिल तो हो धड़कता, पर दिल में फ़िकर ना हो! मंदिर बनाना और मूर्ति भी, करना चाहे अज़ान, ख़ुदा को ख़ुदा ना कहना ग़र ख़ुदा का डर ना हो। नेकी करना, नेक बनना अच्छा है वतन के वास्ते, बुराई में ले जाए, ऐसी जहां में कोई डगर ना हो। तुम जानते हो बहुत कुछ 'कुमार' माना मैंने भी, उसे ना समझाना, जिस पर तुम्हारा असर ना हो। #kumaarsthought #kumaaronzindagi #बसर #असर #फ़िकर